Tuesday 20 March 2018

UGADI CELEBRATION AT NFCL NEWS CLUB KAKINADA 20.03.2018


OUR SITE IN CHARGE SIR SHRI GVS ANAND SIR AND ORGANISED BY SHRI PC, MOHAN SIR DID  WELCOME TO SHRI KOTESHWAR RAO AT NEWS CLUB WHERE MAXIMUM GATHERING FROM NFCL ASSOCIATES AND THEIR FAMILY MEMBERS WERE THERE WITH ALL HOD AND SH HEADS . SHRI KOTESHWAR RAO IS WELL KNOWN NAME AS SPIRITUAL GURU AND HE HAS FOCUSED ON NATURE AND ITS BEAUTY WITH EN-LIGHTING ON BODY , HEART, MIND AND SOUL PURITY ALIGN WITH NATURE AND HER NATURAL RESOURCES.



A BRIEF
Sri Chaganti Koteswara Rao
Chaganti Koteswara Rao in August 2015.JPG
Sri Chaganti Koteswara Rao in August 2015
ReligionHinduism
PhilosophyAdvaita Vedanta
Personal
BornBrahma Sri Chaganti Koteswara Rao
14 June 1959 (age 58)
SpouseSubrahmanyeswaryi
ChildrenShanmukha charan, Naga srivalli
Parents
  • Sri Chaganti Sundara Siva Rao (father)
  • Srimati Suseelamma (mother)
HonorsSaradaa Jnana Puttra, Pravachana Chakravarti
QuoteBhava sankara Desika me Saranam (భవ శంకర దేశికమే శరణం)
Websitewww.srichaganti.net
Chaganti Koteswara Rao is an Indian speaker known for his discourses in Sanatana Dharma.[1] [2] A reader of spiritual discourses on various puranams and epics like Srimad Ramayanam, Srimad Bhagavatam, Soundarya lahari, Lalita sahasranama stotram etc., his discourses are widely followed and are telecast over television channels such as Bhakti TV and TTD and is quite popular among the Telugu speaking people all over the world.[3] He was also appointed as cultural adviser for the government of Andhra Pradesh in 2016.[4] He was also one of the 10 ambassadors Swacch Andhra Corporation.[5] He was bestowed with titles like Upanyasa Chakravarti(King of discourses), and Sarada Jnana Putra (son of the Goddess of knowledge Saraswati).








thanks to Mr. N.K. CHAITYNYA SHARED VIDEO CLIP

भगवान और उनके वाहन








Publish Date:Wed, 26 Mar 2014 04:12 PM (IST)







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

हिन्दू धर्म में करोड़ो भगवान पूजे जाते हैं, पर क्या आप जानते है किस भगवन का कौन सा वाहन है देखिये और जानिये किस भगवान का कौन सा वाहन हैं







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

गुरु ब्रहमा इनका वाहन है हंस







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

माँ दुर्गा इनका वाहन है शेर







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

श्री गणेश इनका वाहन है मूषक या चूहा







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

श्री कार्तिकेय इनका वाहन है मयूर या मोर







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

धन की देवी लक्ष्मी इनका वाहन है उल्लू







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

देवो के देव इंद्र इनका वाहन है हाथी







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

भगवन विष्णु इनका वाहन है गरुड़







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

शनि देव इनका वाहन है कौवा







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

शीतला माता इनका वाहन है गधा







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

महादेव शिव इनका वाहन है नंदी (बैल)







भगवान और उनके वाहन
भगवान और उनके वाहन

सूर्य देव इनका वाहन है सात घोड़े

 होते हैं भगवानों के वाहन पशु?


किसी भी मंदिर में जाइए, किसी भी को देखिए, उनके साथ एक चीज सामान्य रूप से जुड़ी हुई है, वह है उनके वाहन। लगभग सभी भगवान के पशुओं को ही माना गया है। शिव के नंदी से लेकर दुर्गा के शेर तक और विष्णु के गरूढ़ से लेकर इंद्र के ऐरावत हाथी तक। लगभग सारे देवी-देवता पशुओं पर ही सवार हैं।
आखिर क्यों सर्वशक्तिमान भगवानों को पशुओं की सवारी की आवश्यकता पड़ी, जब की वे तो अपनी दिव्यशक्तियों से पलभर में कहीं भी आ-जा सकते हैं? क्यों हर भगवान के साथ कोई पशु जुड़ा हुआ है?

भगवानों के साथ जानवरों को जोडऩे के पीछे कई सारे हैं। इसमें अध्यात्मिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारणों से भारतीय मनीषियों ने भगवानों के वाहनों के रूप पशु-पक्षियों को जोड़ा है। वास्तव में देवताओं के साथ पशुओं को उनके व्यवहार के अनुरूप जोड़ा गया है।
दूसरा सबसे बड़ा कारण है प्रकृति की रक्षा।

अगर पशुओं को भगवान के साथ नहीं जोड़ा जाता तो शायद पशु के प्रति हिंसा का व्यवहार और ज्यादा होता।

हर भगवान के साथ एक पशु को जोड़ कर भारतीय मनीषियों ने प्रकृति और उसमें रहने वाले जीवों की रक्षा का एक संदेश दिया है। हर पशु किसी न किसी भगवान का प्रतिनिधि है, उनका वाहन है, इसलिए इनकी हिंसा नहीं करनी चाहिए। मूलत: इसके पीछे एक यही संदेश सबसे बड़ा है।
आपको क्या लगता है? गणेश जी ने चूहों को यूं ही चुन लिया? या नंदी शिव की सवारी यूं ही बन गए?

भगवानों ने अपनी सवारी बहुत ही विशेष रूप से चुनी। यहां तक कि उनके वाहन उनकी चारित्रिक विशेषताओं को भी बताते हैं... भगवान गणेश और मूषक गणेश जी का वाहन है मूषक। मूषक शब्द संस्कृत के मूष से बना है जिसका अर्थ है लूटना या चुराना। सांकेतिक रूप से मनुष्य का दिमाग मूषक, चुराने वाले यानी चूहे जैसा ही होता है। यह स्वार्थ भाव से गिरा होता है। गणेश जी का चूहे पर बैठना इस बातका संकेत है कि उन्होंने स्वार्थ परविजय पाई है और जनकल्याण के भाव को अपने भीतर जागृत किया है।
शिव और नंदी

जैसे शिव भोलेभाले, सीधे चलने वाले लेकिन कभी-कभी भयंकर क्रोध करने वाले देवता हैं तो उनका वाहन हैं नंदी बैल। संकेतों की भाषा में बैल शक्ति, आस्था व भरोसे का प्रतीक होता है। इसके अतिरिक्त भगवान के शिव का चरित्र मोह माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला बताया गया है। सांकेतिक भाषा में बैल यानी नंदी इन विशेषताओं को पूरी तरह चरितार्थ करते हैं। इसलिए शिव का वाहन नंदी हैं।
कार्तिकेय और मयूर

कार्तिकेय का वाहन है मयूर। एक कथा के अनुसार यह वाहन उनको भगवान विष्णु से भेंट में मिला था। भगवान विष्णु ने कार्तिकेय की साधक क्षमताओं को देखकर उन्हें यह वाहन दिया था, जिसका सांकेतिक अर्थ था कि अपने चंचल मन रूपी मयूर को कार्तिकेय ने साध लिया है। वहीं एक अन्य कथा में इसे दंभ के नाशक के तौरपर कार्तिकेय के साथ बताया गया है।

मां दुर्गा और उनका शेर
दुर्गा तेज, शक्ति और सामथ्र्य का प्रतीक है तो उनके साथ सिंह है। शेर प्रतीक है क्रूरता, आक्रामकता और शौर्य का। यह तीनों विशेषताएं मां दुर्गा के आचरण में भी देखने को मिलती है। यह भी रोचक है कि शेर की दहाड़ को मां दुर्गा की ध्वनि ही माना जाता है, जिसके आगे संसार की बाकी सभी आवाजें कमजोर लगती हैं।

मां सरस्वती और हंस

हंस संकेतों की भाषा में पवित्रता और जिज्ञासा का प्रतीक है जो कि ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए सबसे बेहतर वाहन है। मां सरस्वती का हंस पर विराजमान होना यह बताता है कि ज्ञान से ही जिज्ञासा को शांत किया जा सकता है और पवित्रता को जस का तस रखा जा सकता है।
भगवान विष्णु और गरुड़

गरुण प्रतीक हैं दिव्य शक्तियों और अधिकार के। भगवद् गीता में कहा गया है कि भगवान विष्णु में ही सारा संसार समाया है। सुनहरे रंग का बड़ेआकार का यह पक्षी भी इसी ओर संकेत करता है। भगवान विष्णु की दिव्यता और अधिकार क्षमता के लिए यह सबसे सही प्रतीक है।

मां लक्ष्मी और उल्लू

मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू को सबसे अजीब चयन माना जाता है। कहा जाता है कि उल्लू ठीक से देख नहीं पाता, लेकिन ऐसा सिर्फ दिन के समय होता है। उल्लू शुभता और धन-संपत्ति के प्रतीक होते हैं।



















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